Monday, March 18, 2013

प्रथम -मिलन की इस बेला पर


प्रथम -मिलन की इस बेला पर 

अश्रु -विगलित नेत्रों से जब 
देखा उन्होंने पहली बार 
मन में कुछ हुआ था तब 
आशायें थी जागी  हज़ार 
समर्पण की चाह  उठी 
न्योछावर की इच्छा जगी 
जीवन-साथी बना लो मुझको 
वरुण तन-मन क्षण-क्षण 
मन के तारों की लय  से 
उर तरंगित होने लगे 
मूक -दृष्टि से मैं और वो
 प्रेम -गीत भी गाने लगे 
त्याग-जल के सिंचन से 
प्रेम -बेल विकसित होगी 
एक -दुसरे के बनकर ही 
जीवन -समर में जय होगी 

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