Monday, July 19, 2010

शालिनिअगम (शुभ आरोग्यं) हम अपनी गलतियों से ही सीखतें है


नमस्ते भारतवर्ष
हम सब जब गलती करतें है,तब उसके परिणाम से दुखी भी होतें है, प़र गलतिया कर-कर के जो वर्षो का संचित हल निकलता है उसे अनुभव कहतें है,और अनुभव से ही हम तरक्की के रास्तों प़र बढतें है , जो हमारी सफलता का निश्चित सूचक है ...................

अगर गलती से तुम्हारा पिछला समय कुछ मन चाहा न कर पाने के कारण मचल रहा है, तो अफ़सोस न करके तुरंत खड़े हो जाओ ,"मन ही मन दोहराओ मैंने अपना कल और काफी हद तक आज खो दिया ........लेकिन आने वाला कल मेरा है, ये जीवन मेरा है ,ये संसार मेरा है और मैं उसे सवारूंगा ये मेरा खुद से वादा है .........................

मैंने कल जो अपना सही रास्ता था खो दिया ,प़र आने वाले कल के लिए सही रास्ता चुन लिया है ..............

मैंने कल जो अपनी आत्मा को कुचला किसी भ्रम में या या किसी भुलावे में ,तब अब समय है अपनी आत्मा को पवित्र सुंदर और खूबसूरत बनाने का ......................................

मैंने जो कल अपना सब कुछ खो दिया था ,,प़र अब और नहीं आने वाले कल में सब कुछ पाना है और ये मेरा यकीन है ,क्योंकि कल मेरा है ,ये जहाँ मेरा है................

शालिनिअगम (शुभ आरोग्यं )



नमस्ते भारतवर्ष
जितना आपके पास है
उससे ज्यादा देने की इच्छा रखो,
और बदले में कुछ भी पाने की
आस मत रखो,
अनजानी तृप्ति व् संतुष्टि से भर जाओगे ....................

चेहरे प़र सदैव मुस्कराहट खिली रहने से ,
अपनों को एक अनजानी ताकत और
ख़ुशी का अहसास होता है,
और आपके होने से उनको पूर्णता का अनोखा एहसास होता है.........................

जब भी ज़िन्दगी में ऐसा लगे कि सब कुछ ख़त्म हो गया,सारे दरवाजे बंद हो गए,
कुछ भी बाकी बचा,
तब ऐसे में एक नया सूर्योदय होता है,एक नई शुरुवाद होती है ........................

अपने दिल कि सुनो,
जो अच्छा लगे वही करो,
अपनी ख़ुशी को पहचानो,
क्योंकि जब आप अंदर से खुश होगे ,
तभी दूसरों को ख़ुशी दे पाओगे ............................