Sunday, June 13, 2010

शालिनिअगम ( कुछ शब्द मेरे अपने) क्षण -बोध


क्षण -बोध
प्रत्येक प्रेम भरे क्षण को ,
भोगने की ललक ,
हर क्षण को अविस्मरणीय ,
बनाने की चाह,
एक-एक-क्षण को
आलिंगन में भरने की जिद,
उन पलों की अनुभूति,
वो अद्भुत क्षण,
तन प़र ढेरों गुलाब से खिलाता ,
वह मदमस्त क्षण ,
उन क्षणों की स्मर्तियाँ ,
जब वाणी मूक हो जातीं,
रोम--रोम महक जाता.
वह स्पर्श,वह सुख,वह क्षण
बस वही एक सत्य
बाकी सब मिथ्या ,
केवल वह एक क्षण................
डॉ. स्वीट एंजिल 

1 comment:

ANANT said...

........BEAUTIFUL//////////